कल स्टार टीवी पर करकरे की मौत का सच नाम से स्टोरी दिखायी जा रही थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी का बयान बताया जा रहा था जो इन सबके साथ था और बच गया था.
लेकिन इस सच को बताते बताते न जाने क्या हुआ, स्टार टीवी ने अपने होंठ सिल लिये. मैं इस घटना को शुरू से नहीं देख पाया था क्या आपने कल स्टारटीवी पर करकरे की मौत का सच देखा ह? यदि हां तो बताईये कि क्या था वह प्रसारण
Sunday, November 30, 2008
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10 comments:
इस हादसे में घायल अरुण जाधब ने बताया है कि हेमन्त करकरे, सालस्कर और काम्टे होटल ताज या ओबरॉय से दूर अपनी कालिस में जारहे थे. दो आतंकवादियों ने उन्हें रास्ते में कार से खींचकर उतार दिया और गोली मार दी। उन आतंकवादियों को तो बस कार चाहिये थी और उन्हें मालूम ही नहीं था कि उस कार में कोई ऊंचे पुलिस अफसर बैठे हैं।
अरून जाधब पीछे की सीट पर था और दम साधे पड़ा रहा। जब दोनों आतंकवादी कार छोड़्कर स्कोडा में सवार होकर चले गये तो उसने पुलिस हैडक्वार्टर को फोन कर दिया।
सच्चाई बहुत कड़वी है, पुलिस की जिन शहादतों पर हम मन बहला रहे हैं वह हादसे नहीं हत्यायें हैं
27 तारीख के DNA में इसकी रिपोर्टर प्रीति आचार्य ने लिखा है कि उसके साथ का पुलिस कांस्टेबल ग्रेनेड फैंका जाता देखकर घबरा कर भाग लिया था
हम इन झूठी शहादतों का गौरवगान करके अपनी नाकाबलियत को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.
हमारे पुलिस सुरक्षाबल न प्रशिक्षित थे न पूरी तरह से हथियारों से लैस
सेना को भेजने का फैसला करने में 12 घंटे लगा दिये
एनएसजी पहुंचने में 10 घंटे लगा दिये गये
कल महाराष्ट्र का मूर्ख गृहमंत्री कहता है कि बड़े शहरों में एसे छोटे हादसे तो होते रहते हैं शायद उसके लिये बड़ा हादसा वो होगा जब उसके परिवार पर मौत आ खड़ी होगी.
As reported in Indian express (http://www.indianexpress.com/news/they-threw-salaskar-kamte-and-karkare.../392336/, It seems he died without firing even a single bullet. The media always think in wrong way, Although he sacrificed his life from bullet of a terrorist. It was a great loss for Mumbai ATS, but the whole act was too...... An police officer should be trained for maintaining his cool(thus a proper code of action) at the time of highest tension, and stand by his wisdom than the emotions. Think about the army and commandos they never loosed their calm despite the fact that they were fighting in more adverse conditions and for a longer time. Even the hostages acted in avery sensible way by locking themselves thus securing their life and waiting for proper secure situation. The Mumbai ATS was without It's cheif within hours wahen they needed him more than ever.
Pardon me if I sound unreasonable,but no sensible person can justify this act.
I wish to remain Anonymous because I know that there are a large number of fools in this world who will jump over me without understanding the situation.
जी हाँ वही हुआ जिसा कि ऊपर टिप्पणी कारों ने बयान किया है -मुझे यह आश्चर्य लगता है कि किस नियम के तहत ऐसे घोर आपात समय में तीन वरिष्ठ अधकारी -एक तो मुखिया ही एक वाहन में बैठ गए -ये कौन सी रणनीति थी ? क्या वे डर कर भाग रहे थे ? या फिर समझ बैठे थे कि बिहार का कोई और सिरफिरा आ धमका है और प्वाईंट ब्लैंक से तीन तीन गोलियाँ उसके भेजे में उतार दी जायेंगी ! बहुत अफसोसजनक -उन्हें तो अपनी करनी का तुरत फल मिल गया पर मर्माहत परिवार और राष्ट्र इस अक्षम्य भूल को कैसे बर्दाश्त कर पायेगा ? अब केवल राजनीति और महिमामन्दन ही बचा है .क्रपया अपने विचार यहाँ भी व्यक्त करें -http://mishraarvind.blogspot.com/
पुलिस कर्मी अरून जाधब की तारीफ़ करनी चाहिये कि उस की सूझ बुझ से न जाने कितनो की जान बच गयी.क्योंकि उसी ने पुलिस कंट्रोल को सूचित किया था कि आतंकी एस्कोडा ले कर किस तरफ़ भागे हैं. कंट्रोल रूम की पुलिस की मुस्तदी भी इस तारीफ़ की हक़दार है.
ऐ भाई खबरदार, शहादत पर सवाल न उठाओ… NDTV नाम का इस्लामिक चैनल जिस तरह से एक खास रणनीति के तहत सिर्फ़ करकरे की शहादत को ही हाइलाईट कर रहा है, बाकी को नहीं, उसी प्रकार वह आपको भी हाइलाईट कर देगा…
हम तो पहले ही दिन से कह रहे थे कि किरकिरे साहब टिवी के सामने अपनी इमेज बनाने के लिये बुलेट प्रूफ़ जैकेट पहन कर निकल लिये थे , लेकिन क्या करे किसमत खोटी निकली , कही बैठ कर फ़ोन से कार्य वाफ़ी संचालित करते , या फ़िर टी वी कैमरे पर रोशन लाल जी के रोशन ख्याल बताते कि ये आतंकवादी हिंदू है और हाथ मे कलावा बांधे है माथे पर तिलक लगाये है इन्के पास सेना से चुराया गया साठ किलो आर डी एक्स है साधवी के साथ इनकी एक्सक्लूसिव फ़ोटो दिखाता ndtv, india tv
बस बात बन जाती ,
इस मौके पर भी ये कितने कोन्फ़ीडेंट थे कि तमाम हथियार आराम के साथ अंदर रख कर बैठे थे , वरना किसी वीआई पी के साथ चलते सिक्योरिटी को देखिये नाले कारो से बाहर झाकती रहती है लेकिन हाय री किस्मत एक तो वो हिंदू आतंकवादी नही थे जिनके एक्स्पर्ट थे ये महान अधिकारी दूसरे आतंकवादियो को पता नही था कि ये इतने महान लोग है वरना वे किसी और की कार छीनलेते
बहुत ही शर्मनाक मृत्यु है। लेकिन अप्रत्याशित नहीं है। जिसे भारतभक्तों से ल.दने का प्रशिक्षण और अनुभव दिया गया है वह भारतद्रोही जेहादियों के सामने क्या कर सकता है?
chipluker ji nsg me kitne marathi manush the.modi karkare ke yeha kya karne gaye the.
मेरी समझ में नहीं आ रहा कि लोग शहीदों पर उंगलियां उठाने से बाज क्यों नहीं आते।... दिल्ली के बाटलाहाउस में आतंकवादियों का सामना करने वाले पुलिस ऑफिसर श्री.शर्मा जब अपनी जान पर खेल कर शहीद हुए .... तब भी उनके बारे में कुछ राजकीय नेता गलत बयानबाजी करने से बाज नहीं आए।... अब मुंबई मे हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जांबाजों पर शक किया जा रहा है... क्यों?... मालूम होना चाहिए श्री.करकरे की पत्नी ने नरेन्द्र मोदी की तरफ से ऑफर की गई एक करोड की राशी को ठुकरा दिया है।
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