Friday, September 5, 2008

रईस नंदा को मिली आधी-अधूरी सजा

लगातार तीन दिन इंतजार करने के बाद न्यायपालिका में रईसों की चली। जिस अपराध में भारत के भूतपूर्व नौ सेनाध्यक्ष के पोते संजीव नंदा को पहले दस साल की सजा मिलना तय मानी जा रही थी लेकिन लगातार तीन दिन इंतजार के बाद पांच साल की सजा दी गई और उसमें से भी वे दो साल कम कर दिए जाएंगे जो संजीव नंदा विचाराधीन कैदी के रूप में काट चुके हैं।

पिछले दस वर्षों के सबसे चर्चित मुकदमाें में से एक बीएमडब्ल्यू दुर्घटना कांड में लगातार तीन दिन तक फैसले की प्रतीक्षा करवाने के बाद अदालत ने नंदा को राहत की तरह बहुत कम सजा सुनाई और नंदा परिवार इसके खिलाफ भी अपील करेगा। इस मामले में बचाव और अभियोजन दोनों पक्षों के वकील मिल गए थे और गवाह को पैसा देने की कोशिश एक टीवी चैनल ने सार्वजनिक रूप से दिखाई थी। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन दोनों वकीलों से वकालत करने का अधिकार भी छीन लिया था। इनमें से एक वकील और कांग्रेस नेता आर के आनंद तो खुद को मिली सजा के खिलाफ अपील करने सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गए हैं।

दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 1999 में अपनी बीएमडब्ल्यू कार से तीन पुलिसकर्मियों समेत छह लोगों को कुचल कर मारने के मामले में पूर्व नौसेना प्रमुख एसएम नंदा के पौत्र संजीव नंदा को आज पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनोद कुमार ने कहा- संजीव नंदा मैं आपको पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाता हूं और आपके द्वारा जेल में बिताए गये समय को इसमें से कम कर दिया जायेगा।

न्यायमूर्ति विनोद कुमार ने इससे पहले नंदा को कठोर दंड के प्रावधान के तहत दोषी करार दिया था जिसमें अधिकतम 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई जा सकती थी। बहरहाल अदालत ने उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया। अदालत ने दोषी ठहराए गए एक अन्य व्यक्ति तथा कारोबारी राजीव गुप्ता को साक्ष्य मिटाने के आरोप में एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

जबकि उनके दो कर्मचारी भोलानाथ तथा श्याम सिंह को दुर्घटना के बाद घटनास्थल से खून के धब्बे और पीड़ितों के मांस के टुकड़े हटाने के मामले में छह-छह महीने के कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने गुप्ता पर 10 हजार रुपए तथा उनके दोनों कर्मचारियों पर 100-100 रुपए का अर्थ दंड लगाया। इन्हें आईपीसी की धारा 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत दोषी करार दिया गया था। संजीव नंदा को आईपीसी की धारा 304 के भाग दो (गैर इरादतन हत्या) के तहत दो सितंबर को दोषी करार दिया गया था।

साभार: http://aloktomar.com/?p=200 डाटालाइन इंडिया

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