Thursday, May 7, 2015

पुण्य प्रसून बाजपेयी , काश्मीर काश्मीर और जोर से चिल्लाईये

आप जब यासीन मलिक के साथ टीम बनाकर आये थे तभी से मैं प्रतीक्षा कर रहा था कि काश्मीर काश्मीर पहले कौन चिल्लाता है. सोचा था कि यह पहल यासीन मलिक की ओर से होगी लेकिन यासीन मलिक ने तो अपना ब्लाग मिटाना बेहतर समझा।

जब यासीन मलिक भाग खड़ा हुआ सो रह गये आप अकेले तो मेरा विश्वास था कि अब आप ही काश्मीर काश्मीर ही चिल्लायेंगे। आपके पिछले तीनों लेख काश्मीर को लेकर हैं, देखिये मेरा विश्वास कितना सही निकला


काश्मीरी की आजादी के राग पर पिछले सप्ताह प्रभाष जोशी जी ने जनसत्ता में "लल्लू लिबरलों" के आजादी राग पर कागद कारें में एक लेख लिखा था जिसे मैंने नीचे दिये तीन भागों में प्रस्तुत किया था.

मुसलिम बहुल काश्मीर भारत में नहीं रह सकता तो हिन्दू बहुल भारत में मुसलमान क्यों रह सकते हैं?

हमें सत्ता से बाहर बैठाओगे तो हम अलगाववादी और भारत और हिंदू विरोधी आग लगाएंगे ताकि भड़का कर वोट ले सकें।

भारत नामक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक समाजवादी गणराज्य हमने इसीलिए बनाया था। जय हो भारत भाग्य विधाता!

आप शायद उस समय यासीन मलिक के साथ गुफ्तगू में मशगूल होंने के कारण नहीं पढ़ पाये होंगे, पढ़ लीजियेगा, इस में आपके सारी प्रश्नों का तरतीबवार जबाब है.

और हां, एम्बेडेड जर्नलिज़्म अमेरिका की इज़ाद नहीं हैं, अपने खुद के देश में जर्नलिस्ट स्पान्सर्ड विचार लोगों पर फैलाते आये हैं.

राजदीप सरदेसाई जैसे भी तो फिसल जाते हैं
आप भी फिसल पड़े हैं सो बोलते रहिये।