Sunday, June 13, 2010

राजनेताओं, जाच करने वालों जितने ही जिम्मेदार है माननीय जस्टिस अहमदी ...

भोपाल गैस नरसंहार के जितने राजनेता दोषी है, जितने जांच कर रहे आला अफसर दोषी है उतनी ही न्यायपालिका.

बेबस गैस पीड़ित अपने परिवार को खोकर दर दर गुहार लगाते रहे, हर दरवाजे पर सोने का जूता खाये हुये सौदागर मौजूद थे और हर दरवाजे से गैस पीड़ितों को निराशा सिर्फ निराशा हाथ लगी. प्रदेश का मुख्यमंत्री विदेशी अपराधी को अपने विमान से ससम्मान दिल्ली विदा करता है, जिले का कलक्टर उसकी कार का बाडीगार्ड बनकर हवाई अड्डे तक छोड़ने आता है. देश के आला मुन्सिफ के फैसले मुजरिमों को फायदा पहूचाते हैं.

इन गैसपीड़ितों का भाग्य भी खोटा है, अगर कोई भगवान अल्लाह या गॉड जैसी कोई हस्ती है, वह भी छिपकर किसी कोने में बैठकर इन हत्यारों की मददगार बनी हुई है.

क्यों माननीय जस्टिस अहमदी इन राजनेताओं और जांच करने वाले आला अफसरों जितने अपराधी हैं?
  • माननीय जस्टिस अहमदी के 1996 के फैसले ने अभियुक्तों की सजा कम करने का रास्ता साफ करके केस को कमजोर किया
  • आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट आरोप तय करने से गुरेज करता है फिर भी सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में माननीय जस्टिस अहमदी ने एसा किया
  • यदि आरोप ट्रायल कोर्ट में तय होते तो इस मामले में अभियुक्तों को सख्त सजा मिलने का रास्ता खुला रहता
  • माननीय जस्टिस अहमदी ने गलत बयानी की है कि इस फैसले को लेकर कोई रिव्यू पिटीशन नहीं आई. गैसपीड़ितों के ओर से दायर की गई रिव्यू पिटीशन माननीय जस्टिस अहमदी ने तुरन्त डिसमिस कर दी जिसके कि अदालती सबूत मौजूद हैं
  • अदालत में पेश न होने पर यूनियन कार्बाइड की भारत स्थित सम्पत्ति को भोपाल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट से कुर्क कर लिया लेकिन माननीय जस्टिस अहमदी ने इस सम्पत्ति को कुर्क करने के आदेश निरस्त करके इनका विक्रय करने इसकी राशि इंग्लेंड में बने भोपाल मेमोरियल ट्रस्ट को भोपाल मेमोरियल हास्पीटल ट्रस्ट के रूप में भारतीयकरण करके इसके हवाले कर दिया गया. यहां भी यूनियन कार्बाइड फायदे में रहा.
  • जिस मामले में फैसले सुनाकर माननीय जस्टिस अहमदी ने यूनियन कार्बाइड को राहत दी रिटायरमेंट के बाद इसी ट्रस्ट के आजीवन ट्रस्टी के लाभ के पद पर सुशोभित हो गये, जो कि नैतिक रूप से उचित नहीं था.
  • 400 करोड़ से अधिक की विपुल धनराशि (US$87 मिलियन डालर) ट्रस्टी के विवेकाधिकार पर उपलब्ध थी.
भोपाल मेमोरियल हास्पीटल ट्रस्ट की गड़बडियों पर अधिक जानकारी के लिये आप यह पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर सकते हैं

अपने फैसले बचाव में माननीय जस्टिस अहमदी कहते हैं कि यदि मेरा ड्राइवर कार का एक्सीडेंट कर देता है, मैं कहां से जिम्मेदार हुआ. माननीय जस्टिस अहमदी जी, यदि कोई कार के ब्रेक फेल होने पर जानबूझकर गाड़ी चलवाता है तो क्या गाड़ी चलवाने वाले की जिम्मेदारी नहीं है?

चेतावनियों और दुर्घटनाओं को अनदेखा करके भोपाल यूनियन कार्बाइड शहर के बीचोबीच जहां समाज के गरीब लोग रहते थे चलाया जा रहा था. लोग शिकायतें कर रहे थे, छोटी दुर्घटनाओं में कर्मचारी मर रहे थे, जागरूक पत्रकार किसी बड़ी दुर्घटना होने की संभावना के बारे में लिख रहे थे, चेता रहे थे, राजनेता यूनियन कार्बाइड से फायदा उठा रहे थे, प्रदेश का मुख्यमंत्री यूनियन कार्बाइड के श्यामला हिल्स पर बने गेस्ट हाउस का प्रयोग कर रहा था, राजनेताओं के रिश्तेदार यूनियन कार्बाइड में लाभ के पदों पर थे, विधानसभा में मामला उठने पर मंत्री बयान देता था कि यूनियन कार्बाईड एक डिब्बा नहीं है जिसे यहां से उठा कर दूसरी जगह रख दिया जाय.

सारे सबूत मौजूद थे और माननीय जस्टिस अहमदी ने इन लापरवाही के सबूतो को दरकिनार करते हुये यूनियन कार्बाइड को बचाने वाले फैसले दिये.

माननीय जस्टिस अहमदी जबाब दें यदि उनके पास कोई जबाब है

स्रोत: दैनिक भास्कर, विकीपीडिया, भोपाल.नेट

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

भारत की जनता का दुर्भाग्य है..